Latest:

“जवाब दो सरकार” क्यों जरूरी

लोकतंत्र में शासन में जनभागीदारी महत्वपूर्ण विषय है|परन्तु देखा गया है कि हर सरकार इस विषय से बचती नजर आती है,जनभागीदारी के नाम पर बरसो से हमसे मतदान करवाया जाता रहा है,परन्तु यह भागीदारी शासन में कतई नहीं है,यह अवश्य बात है कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के क्रियान्वयन के बाद नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना आई है परन्तु यह भावना केवल कुछ लोगो तक ही सिमित है|एक रिपोर्ट के अनुसार सूचना के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन के 12 सालों के बाद भी आज तक 24394951 सूचना आवेदन विभिन्न प्राधिकरणों में प्राप्त हुए है,जो कि हमारी जनसँख्या को देखते हुए नगण्य है|

सूचना का अधिकार हमें विभिन्न विभागों से वह सभी सूचनाये उपलब्ध करवाने में सहयोग करता है जो कि एक विधायक या सांसद मांग सकता है,परन्तु विधायकों या सांसदों की तरह सरकार से सवाल पूछने की आजादी नहीं देता है|हमारे देश में सवाल पूछने का अधिकार केवल विधायिका,न्यायपालिका या प्रेस को ही प्राप्त है,आम जन को अपनी समस्याओं पर सुनवाई का अधिकार अवश्य राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार ने सुनवाई का अधिकार अधिनियम 2012 के द्वारा दिया था,परन्तु इस सरकार में उस पर कोई ध्यान नहीं देकर उसकी जगह संपर्क पोर्टल जो आज मुख्यमंत्री हेल्पलाईन के नाम से संचालित है,पर जोर दिया जा रहा है|जो कि केवल आंकड़ों में ही ख्याति अर्जित कर रहा है,क्यूंकि अधिकारी यहाँ भी उपरी स्तर पर धुल झोकने में माहिर हो चुके है|

भले ही प्रेस प्रत्येक सरकार के कार्यकाल में विपक्ष की भूमिका बखूबी निभाता है यद्दपि प्रेस सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार,लालफीताशाही,लापरवाही,अव्यवस्थाओं को उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है,जिसे वह निरंतर अपनी ख़बरों के जरिये सरकार पर दबाव बनाये रखता है,परन्तु आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते कई खबरे कुछ दिनों बाद मुख्य पृष्ठ से ओझल होती हुई गुमनामी के अंधेरों में चली जाती है,और सरकारी तंत्र भी जांच की बाते कह कर उसे ठन्डे बस्ते में डाल देता है|

कई बार प्रेस अतिउत्साह में कई विषयों का मिडियाट्रायल भी कर देता है जो कि तथ्यों से परे होती है और सरकार की छवि को नुकसान पहुचती है|

हमारी विधानसभा के  विधायकगण भी सवाल पूछने में पीछे नहीं रहते है  परन्तु देखा गया है कि कई विधायक जो कि इस कार्यकाल में मंत्री पदों पर है अपनी सरकार से प्रश्न ही नहीं पूछते है शायद इसलिए की वह खुद सरकार जो है,परन्तु इसका खामियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ता है क्यूंकि मंत्रीजी का क्षेत्र होने के बावजूद उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिल पाती|वही दूसरी और कई विधायक अपने क्षेत्र से बाहर के प्रश्न पूछते नजर आते है,माना की उनमे से कई प्रश्न व्यापक जनहित से सम्बंधित होते है परन्तु कई बार प्रश्न व्यक्तिगत भी हो जाते है|

“जवाब दो सरकार” के माध्यम से हमारा प्रयास लोकतंत्र के पांचवें स्तंभ के रूप में स्थापित होकर जनता की आवाज बुलंद करना है|जिससे आम जन को न्याय के लिए दर दर नहीं भटकना पड़े|उनकी समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही हो|
“जवाब दो सरकार” के माध्यम से हमारा प्रयास ऐसी ही विषयों का सच जान कर उसे आम जन के सामने प्रस्तुत करना है जिससे जो खबरे सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार,लालफीताशाही,लापरवाही,अव्यवस्थाओं से सरोकार रखती है और सही मायनों में सत्य के नजदीक है उस पर सरकारी तंत्र को प्रभावी कदम उठाने पर विवश करे और जो खबरे नकारात्मक है उस पर प्रेस गहराई से मंथन करें और सुधार के तरीके अपनाए|

“जवाब दो सरकार” के माध्यम से हमारा प्रयास सरकार,सर्वोच्च न्यायालय,उच्च न्यायालय और अन्य आयोगों के महत्वपूर्ण निर्णयों से आम जन को वाकिफ करवाना है जिससे शासन के प्रति आम जन की समझ विकसित हो और सुशासन को बढ़ावा मिल सके|

साथ ही यह भी तय करना है कि जिन माननीयों को हमने चुनकर जनप्रतिनिधि नियुक्त किया है वह अपने दायित्वों के प्रति कितने गंभीर और जागरूक है|चाहे वह सांसद के रूप में हो या विधायक,पार्षद और सरपंच के रूप में|साथ ही ऐसे जननेताओं को राजनीति में आगे लाना हमारा प्रयास है जो सदैव अपनी स्थानीय जनता का भला सोचते है,सदा उनसे जुड़े रहते है भले ही वह किसी निर्वाचन प्रक्रिया से चुने हुए जन प्रतिनिधि ना हो|