कालाधन नहीं मिटेगा, नोटबंदी से पहले आरबीआई ने दी थी चेतावनी
नई दिल्ली. आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी (विमुद्रीकरण) से पहले रिजर्व बैंक ने सरकार को चेतावनी दी थी कि उच्च मूल्य वाले नोटों हटाने से कालेधन को समाप्त नहीं होगा। केन्द्रीय बैंक का कहना था कि अधिकांश अघोषित संपत्ति सोने और जमीनों (अचल संपत्ति) के रूप में है। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल ने विमुद्रीकरण के प्रस्ताव पर 38 दिनों बाद 15 दिसम्बर, 2016 को दस्तख्त किए थे।
खुलासा वेंकटेश नायक नाम के एक आरटीआई कार्यकर्ता को सूचना के अधिकार के तहत नोटबंदी से कुछ घंटे पहले हुई आरबीआई बोर्ड की बैठक की मिनट्स (कार्यवाई) से दी गई जानकारी से हुआ है।
वेंकटेश ने यह जानकारी कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव की वैबसाइट पर भी अपलोड की है। आरबीआई ने इस बात की पुष्टि की है की मिनट्स असली है। आरबीआई बोर्ड की यह 561 वीं बैठक थी और 8 नवम्बर, 2016 को शाम 5:30 बजे शुरू हुई थी। इसके कुछ घंटो बाद रात 8:00 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय टेलीविज़न पर 500 और 1000 रुपए के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था। उस समय इन दोनों नोटों का कुल नकदी में 86 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जिनकी कीमत लगभग 15 लाख 41 हजार रूपए थी।