जयपुर पुलिस कमिश्नरेट,नारकोटिक्स और आबकारी विभाग की आँख के नीचे जयपुर के नाईट क्लबो,होटलों और बारो मे बिक रही प्रतिबंधित MDMA और LSD जैसी नशीली दवाएं!!जांच एजेंसियों को नहीं लग पा रही ड्रग पेडलरों की कार्य प्रणाली की भनक!!क्लबों मे धरपकड़ के समय स्थानीय पुलिस बिना मेडिकल जांच करवाए,नशेबाजों और क्लब संचालकों पर कोटपा एक्ट,शांति भंग जैसी मामूली धाराएं लगाकर,कर देती है मामले का पटाक्षेप!!
कोरोना के बाद जयपुर,जोधपुर,उदयपुर,कोटा जैसे बड़े शहरों क्लब संस्कृति तेजी से पनप रही है यही कारण है कि राजस्थान के शहरों मे बड़े-बड़े क्लब खुल रहे है और युवाओ को आकर्षित करने के लिए यह क्लब नित नए प्लान,योजनाए,प्रोग्राम आयोजित करते रहते है|इन क्लबों,होटलों,बारो मे होने वाली पार्टियों मे जहां शराब,हुक्का आम हो चला है वहीं अब हेरोइन,गाँजा,चरस जैसे नशों के साथ MDMA और LSD जैसे सिंथेटिक नशे भी तेजी से अपने पैर पसार रहे है|इन नशों की छोटी सी पुड़िया ही हजारों रुपयों की होती है|इन नशों की लत लग जाने के कारण जहां हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है वही बड़े शहरों मे अपराध भी बढ़ रहा है|जिसके चलते जहां नशे के लिए चोरी चकारी,लूट जैसी घटनाओ को अंजाम दिया जा रहा है|वही नशे मे तेज गति से गाड़ी चलाने के मामलों के चलते, सड़कों पर होने वाले हिट एंड रन के मामलों मे भी तेजी से इजाफा हो रहा है|जयपुर पुलिस कमिश्नर के आदेशों की पालना करते हुए,शहर में देर रात चलने वाले क्लबो,ग्राहकों को हुक्का परोसने वाले क्लबो, बारो,होटलो पर कार्यवाही करके,स्थानीय पुलिस वाहवाही तो लूट लेती है,लेकिन अभी तक शहर के कुछ चुनिंदा क्लबो में चलने वाले नशे के धंधे की क,ख,ग,घ भी समझ नही पायी है,कार्यवाही तो बहुत दूर की बात है।।ऐसे मामलों में पुलिस की सबसे बड़ी नाकामी यह होती है कि दबिश के समय पकड़े जाने वाले ग्राहकों का मेडिकल नही करवाया जाता, जिससे उनके द्वारा किये जाने वाले प्रतिबंधित नशे का पता ही नही लग पाता है और नशा करने वाले और नशा बेचने वाले दोनों कानून के शिकंजे से बच निकलते है।