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माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश

अब तो समाज को जातियों में मत बांटो, यह संविधान के विपरीत

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हाईकोर्ट ने जाती गलत दर्ज होने के कारण पाँच दिन तक एक व्यक्ति को जमानत नहीं मिलने पर हैरानी जताई हैं | कोर्ट ने गिरफ्तारी के   कागजो में जाति के उल्लेख को संविधान की भावना के  विपरीत बताते हुए कहा कि समाज को जातिविहीन बनाने  का वक्त आ गया है |

अब भी पहचान के लिए  के बजाय जाति को आधार बनाया जा रहा है | गिरफ्तारी के कागजों में जाति का उल्लेख करने के लिए न तो संविधान कहता है ओर न ही सीआरपीसी में ऐसा करने को कहा गया है | सरकारी मशीनरी जाति के उल्लेख के लिए दवाब बनाती है | अब गिरफ्तारी और जमानत से जुड़े कागजातों में जाति का उल्लेख बंद कर दिया जाए|

न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने बिशन कि याचिका पर यह आदेश दिया | इसकी पालना कि ज़िम्मेदारी राज्य सरकार व पुलिस महानिदेशक को सोंपी हैं | साथ ही, जमानत मिलने के बावजूद जाति गलत दर्ज होने से अब तक जेल में बंद याचिकाकर्ता को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया |

स्कूल और कोर्ट से करे शुरूआत 

जाति का उल्लेख वास्तव में कही नहीं होना चाहिए | जातिविहीन समाज बने | कई स्कूल बालिका कॉलेज जाति का उल्लेख नहीं करते हैं | कागजों में जाति का उल्लेख नहीं करने कि शुरूआत स्कूल-कोर्ट हो | संविधान कहता है जाति आधार पर भेद नहीं हो | जाति का उल्लेख होने से बड़ी जाति-छोटी जाति का अंतर करना शुरू हो जाता है | इसलिए जाति-धर्म का उल्लेख बंद होना हि चाहिए |