सीएजी टीम का आबकारी कार्यालय पर की कार्यवाही,छापा मारा|
कहते है कि भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं,पांच साल अपनी मनमानी करने वाले अधिकारियों के अब ख़राब दिनों की शुरुआत हो चुकी है|इस कहानी की शुरुआत पिछले वित्तीय वर्ष में हुई जब जयपुर शहर के देशी मदिरा की दुकानों में ठेकेदारों ने रूचि नहीं दिखाई जिसका फायदा आबकारी अधिकारीयों ने अपने फायदे के लिए करने की साजिश रची,उन्होंने शहर के 38 देशी शराब की दुकानों को दिल्ली,यू.पी. के एक प्रभावी ठेकेदार को दे दिया और उसको फायदा देने के लिए आबकारी एवं मद्द संयम निति 2018-19 के बिंदु संख्या 3.5.3 तथा बिंदु संख्या 3.6.1 के अनुसार जमा करवाने वाली 18% और 8% राशि को जमा नहीं करा कर करोड़ों रुपयों के राजस्व हेराफेरी की गयी|
इसी मामले में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी राजेश वर्मा द्वारा सूचना देने से मना कर दिया था और प्रथम अपील करने पर तत्कालीन आयुक्त प्रवीण गुप्ता द्वारा प्रथम अपील को ख़ारिज कर दिया था|
सरकार में प्रभाव रखने के कारण इन अधिकारीयों द्वारा इस मामले को लगातार दबाया जाता रहा|
परन्तु सीएजी की इस कड़ी कार्यवाही ने सबको सकते में डाल दिया हैजिसका किसी को अंदेशा नहीं था|सीएजी की पकड़ से अब इन अधिकारियों का बचना मुश्किल नजर आ रहा है|