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राजस्थान की सबसे बड़ी पानी चोरी की बड़ी कहानी!!!नुवोको विस्टास कॉर्पोरेशन लि. का कारनामा!!! वर्ष 2014 से कर रहा नवगठित ब्यावर जिले की जैतारण तहसील के निंबोल गाँव मे स्थित अपने सीमेंट प्लांट के लिए भूजल का अवैध दोहन!!!

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आपको बता दें कि वर्ष 2012 मे सिद्धि विनायक प्रा. लि. द्वारा तत्कालीन पाली जिले की जैतारण तहसील की लगभग 741’02 बीघा खातेदारी जमीन पर अपने इंट्रीगेटेड सीमेंट प्लांट की शुरुआत की गई थी|कंपनी द्वारा वर्ष 2014 मे अपना प्रोडक्शन चालू किया गया|ततपश्चयात कंपनी को निरमा लि. द्वारा अधिगृहीत कर लिया गया और वर्ष 2020 मे निरमा लि. ने अपना नाम बदल कर नूवोको विस्टास कॉर्पोरेशन लि.  कर लिया गया|

अपने प्लांट की जल आपूर्ति के लिए सिद्धि विनायक प्रा. लि./नूवोको विस्टास कॉर्पोरेशन लि.को भूजल दोहन हेतु दिनांक 10/12/2012 को केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण(CGWA) द्वारा 3 बोरवेलों से 1123 MTPA भूजल दोहन की अनुमति दो वर्ष हेतु प्रदान की गई|इसी के साथ CGWA द्वारा यह शर्त भी रखी गई कि जल दोहन के बदले कंपनी अपने प्लांट के आस पास के क्षेत्र मे 9,29,303 m3/year भूजल का पुन:भरण करेगा|दो वर्ष पश्चयात कंपनी को इस एनओसी को रिन्युअल करवाना आवश्यक था|लेकिन निर्धारित 2 वर्ष पश्चयात कंपनी द्वारा इस एनओसी का  रिन्युअल नहीं करवाया गया और निरंतर भूजल का दोहन किया जाता रहा|इसी बीच कंपनी द्वारा वर्ष 2017 मे CGWA को पत्र लिखकर सूचित किया गया कि उसके द्वारा जो तीन बोरवेल खोदे गए थे,उनमे से 2 मे पानी आना बंद हो जाने से दो अतिरिक्त बोरवेल खोदे गए है लेकिन इस मामले मे CGWA द्वारा कोई आधिकारिक सहमति/असहमति प्रदान नहीं की गई|इसी बीच CGWA द्वारा NGT और माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के चलते,कंपनी की एनओसी रिन्युअल मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया| जब यह मामला NGT तक पहुंचा तो NGT द्वारा कंपनी के भूजल दोहन को अवैध करार देते हुए,जिम्मेदार विभागों को कड़ी फटकार लगाई और कंपनी से पर्यावरणीय मुआवजा वसूलने और कंपनी के विरुद्ध जल अधिनियमों के तहत कड़ी कार्यवाही करने को कहा|लेकिन बीते डेढ़ साल से मुआवजा राशि तय हो जाने के बावजूद अभी तक मुआवजा वसूली के कोई आदेश जारी नहीं हुए है|इसी बीच कंपनी द्वारा जिम्मेदार विभागों से साँठगांठ कर,गलत तथ्यों कर आधार पर अपने प्लांट विस्तार हेतु पर्यावरण स्वीकृति भी हासिल कर ली|

 

 

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