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आखिर क्यूँ जिला कलेक्टर नहीं करवा रहे कंपनी के “सोर्स ऑफ रॉ मेटेरियल(मीट) की जांच?भूखंड संख्या F-32-36,G-39,मानपुरा माचेड़ी,रिको इन्डस्ट्रीअल एरिया,जयपुर पर यूनिएग्रो फूड इंडस्ट्रीज़ प्रा.लि. द्वारा संचालित अवैध मीट प्रोसेसिंग यूनिट का मामला!!

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आपको बता दें कि एनजीटी के आदेशानुसार किसी भी स्लॉटर हाउस/मीट प्रोसेसिंग यूनिट मे आने वाले मीट/मांस का स्त्रोत जानने के लिए प्रदूषण विभाग अधिकृत है| माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(NGT),वेस्टर्न जोन,पुणे  द्वारा सुकृत निर्माण चेरेटेबल ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र सरकार(एप्लीकेशन संख्या 75(THC)/2014(WZ) मामले मे दिनांक 24/12/2014 को जारी निर्णय मे महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को निर्देशित किया था कि वह इस मामले मे दोषी कंपनियों के सोर्स ऑफ मेटेरियल(मीट) की जांच करें|आपको बता दें कि उक्त मामले मे दो मीट प्रोसेसिंग इकाइयों पर अवैध पशुधन लाने के आरोप थे और एनजीटी के आदेशानुसार यह दोनों कंपनियां अपने सोर्स ऑफ मीट का ब्यौरा उपलब्ध नहीं करा पाई,जिसके चलते इन दोनों कंपनियों को प्रदूषण विभाग द्वारा बंद करवा दिया गया|

इसी तरह यूनिएग्रो कंपनी द्वारा भी 63 मेट्रिक टन/प्रतिदिन तैयार माल हेतु प्रदूषण विभाग से अनुमति चाही गई है,जिसके लिए लाखों जानवर काटे जाएंगे,लेकिन राज्य मे एक भी अधिकृत स्लॉटर हाउस नहीं होने के बावजूद कंपनी के उत्पादन के लिए लाखों जानवर राज्य के विभिन्न शहरों मे बिना राजकीय अनुमति के काटे जा रहे है और राज्य सरकार,जिला प्रशासन और जिम्मेदार विभाग कंपनी से कंपनी के सोर्स ऑफ मेटेरियल(मीट) पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है|

पिछले साल इस कंपनी द्वारा अपीड़ा के अधिकारियों से साँठ-गांठ कर,मीट उत्पादों को एक्सपोर्ट करने के लिए अपीड़ा लाईसेंस लेने कई कवायद की जा रही थी लेकिन हमारे प्रयासों से कंपनी की चाल कामयाब नहीं हुई और अपीड़ा द्वारा कंपनी को लाईसेंस जारी नहीं किया गया|कंपनी द्वारा रिको को दिए गए जवाब मे बताया गया है कि कंपनी द्वारा लोकल मार्केट के लिए मीट उत्पादन का कार्य किया जा रहा है|लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इसी कंपनी द्वारा हैदराबाद के एक स्लॉटर हाउस के सर्टिफिकेट्स का दुरुपयोग कर, अपने मीट उत्पादों को एक्सपोर्ट किया जा रहा है|ऐसे मे साफ है कि हैदराबाद से सैंकड़ों किलोमीटर दूर कोई अपनी कंपनी क्यूँ केवल लोकल मार्केट के लिए उत्पादन कर रही है?जबकि करोड़ों रुपया लगाकर,लोकल मार्केट के लिए उत्पादन करना घाटे का सौदा है और इसकी बजाय मीट उत्पादों को एक्सपोर्ट करना करोड़ों रुपयों के मुनाफे का सौदा|ऐसे मे साफ है कि राज्य सरकार/केंद्र सरकार की दर्जनों जांच एजेंसियों की नाक के नीचे कंपनी द्वारा नियमों की आड़ मे लोकल से ग्लोबल तक मीट की खुलेआम अवैध तस्करी की जा रही है और जांच करने वाला कोई नहीं है|

 

 

 

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