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अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए आदेश

जिन्होंने नदी-तालाबों पर कब्जा किया उन्हें बाढ़ का मुआवजा नहीं

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जिन लोगो ने नदी-तालाबों जैसे जल संसाधनो पर कब्जा किया है , उन्हें बाढ़ राहत कोष का मुआवजा नहीं दिया जा सकता | राहत हा ये पैसा कर देने वाले आम नागरिकों का हैं , जिसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है |

यह आदेश मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई में जलभराव और बाढ़ जैसे हालात पैदा होने के मामले में दिया है | हाईकोर्ट का यह आदेश राजस्थान , मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ समेत देश के उन राज्यों और उनके शहरों के लिए नजीर बन सकता है , जहां नदी , प्राक्रतिक नाले और तालाब अतिक्रमण से लगभग पाट दिए गए है | यह अतिक्रमण बड़े इलाको में बाढ़ की वजह बने हुए हैं |

कोर्ट ने इस मामले में चेन्नई कलक्टर को अतिक्रमणकारियों को हटाने को कहा है | मामले में हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर से 12 हफ्ते में रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा गया है |

राज्य में भी हालात ठीक नहीं

राजधानी समेत राज्य के अन्य शहर में नदियों के बहाव क्षेत्र औए तालाबों के किनारे अतिक्रमण की मार है | बात राजधानी की करें तो यहां पर रामगढ़ और कूकस बांध से लेकर सूगली और बांडी नदी पर अतिक्रमण द्रव्यवती नदी के बहाव क्षेत्र में था | इसके अधिकतर हिस्से को अतिक्र्मियों से मुक्त कराया जा चुका है | कोटा में अनंतपुरा के तालाब में ही बसावट हो गई है | बारिश में यहां रहने वाले 150 परिवार बाहर आ जाते है और बारिश के बाद फिर वहीं पहुंच जाते हैं | करौली की हिंडोन सिटी में जलसेन तालाब के किनारे पक्के निर्माण तक लोगों ने कर लिए हैं | उदयपुर के कृष्णपुरा , आलू फ़ैक्टरि , करजाली हाउस ,स्वामीनगर , संतोष नगर , फूटा तालाब आदि क्षेत्र के बहाव क्षेत्र में होने से भारी वर्षा के दौरान डूब जाते है | यहां पर कई लोगों ने स्थाई अतिक्रमण तक कर रखे है |

( साभार : राजस्थान पत्रिका में दिनांक 10-09-2018 को प्रकाशित खबर )