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सत्यमेव विजयते

दो पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी पद का दुरूपयोग करने के दोषी

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अजमेर नगर निगम का है मामला

कचरा परिवहन के ठेके में हुई धांधली:कार्यालय नगर निगम अजमेर, द्वारा दिनांक 05/02/2016 को निविदा न. 12/2015-16 के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2016-2017 की अवधि हेतु जोन प्रथम,द्वितीय,तृतीय में शहर के कचरा डिपो/कंटेनरों से कचरा/मलबा/मिटटी आदि गृह डंपिंग यार्ड (टी.जी.) तक परिवहन करने के कार्य हेतु पृथक-पृथक ई-टेंडरिंग के माध्यम से बिड(निविदा) आमंत्रित की गयी|इस निविदा को दिनांक 08/02/2016 कोsppp.rajasthan.gov.in पर अपलोड किया गया|परन्तु निविदा की शेष शर्तों को कही भी किसी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया|इस कारण केवल जानकार व्यक्ति ही इस निविदा प्रक्रिया में भाग ले पाए|उपलब्ध निविदा की शर्तों के अनुसार निविदा शर्त 4 के अनुसार तकनीकी बिड हेतु निम्न दस्तावेज स्केन कर पीडीएफ फोर्मेट में अपलोड करने थे:-

  • निविदा शुल्क एवं प्रोसेसिंग फीस के भुगतान के डीडी/बेन्कर्स चैक की फोटोकॉपी|
  • बिड सिक्योरिटी के भुगतान की डीडी/बैंकर्स चेक की फोटोकॉपी|
  • स्थायी पता,प्रमाणीकरण हेतु राशन कार्ड,मतदाता पहचान पत्र आदि की फोटोकॉपी|
  • निविदा प्रपत्र प्रत्येक पृष्ठ हस्ताक्षरित|
  • लेबर एक्ट के तहत श्रम विभाग में पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति|
  • पेन कार्ड प्रमाण पत्र की प्रति|
  • किसी भी वित्तीय वर्ष में संवेदक/फर्म का टर्न ओवर 25 लाख रुपयें होना चाहिए इसके लिए CA का स्पष्ट प्रमाण पत्र|
  • एनेक्चर A,B,C,D हस्ताक्षरयुक्त|
  • संवेदक के निगम के किसी भी अधिकारी/पार्षद/कर्मचारी से ब्लड रिलेशन नहीं होने बाबत रु.10 के नान ज्युडिशियल स्टाम्प पर कार्य-पालक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी/नोटेरी पब्लिक द्वारा पप्रमाणित मूल प्रमाण पत्र|
  • निविदादाता को कचरा परिवहन कार्य का अनुभव मय प्रमाणित प्रतिलिपि|

परन्तु दिनांक 10/02/2016 को खोली गयी जोन 2 और 3 की निविदा में निविदादाता(जो कि वित्तीय निविदा में सफल हुआ) राजेन्द्र जठीया प्रोपराईटर मै.बालाजी एंड संस द्वारा केवल आठ दस्तावेज ही अपलोड किये गए| उनके द्वारा निविदा की शर्त 5 के अनुसार लेबर एक्ट के तहत श्रम विभाग में पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति और शर्त 10 के अनुसार निविदादाता को कचरा परिवहन कार्य का अनुभव मय प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं करवाई गयी|इस प्रकार तकनीकी रूप से उक्त फर्म तकनीकी निविदा में चयन हेतु योग्य नहीं थी|परन्तु न केवल उक्त फर्म को तकनीकी निविदा के योग्य घोषित किया गया वरन उसी दिन खोली गयी वित्तीय निविदा में न्यूनतम बोली दाता होने के कारण सफल घोषित कर दिया|निविदा दस्तावेज के अनुसार वित्तीय निविदा तकनीकी निविदा के अनुसार कुछ समय बाद खोली जानी थी,परन्तु नियम दरकिनार कर उसी दिन खोल दी गयी|इस प्रकार तकनीकी रूप से अयोग्य कम्पनी को अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से योग्य घोषित कर ठेका दिलवा दिया गया|इस मामले की दिनांक 21/03/2016 को निदेशक,स्वायत्त शासन विभाग जयपुर से शिकायत करने पर विभाग के पत्र क्रमांक ऍफ़55( )Engg./CE/DLB/16/7149 दिनांक 21/03/2016 द्वारा 3 दिवस में इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गयी|इस पर आयुक्त,नगर निगम द्वारा अपने पत्र क्रमांक एच.ओ./2016-17/64 दिनांक 7/04/2016 के अनुसार बताया कि उपरोक्त राज.लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम 2012 की धारा 63(2)(3) के अनुसार क्रय कमिटी द्वारा तकनीकी निविदा की शर्तों के अनुसार 10 मापदंड तय किये गए थे|कमिटी ने उक्त नियमों के नुसार यह निर्णय लिया कि जो फर्म 10 में से न्यूनतम 8 तकनीकी मापदंड पूरा करती है उन्हें तकनीकी बिड में सफल माना जाएगा|साथ ही साथ यह भी स्पष्ट करना चाहा कि उपरोक्त नियमों के अनुसार न्यूनतम मापदंड तय करने से कचरा परिवहन की दरें पूर्व के वर्षों से कम प्राप्त हुई है तथा निगम को 5 लाख रु.वित्तीय लाभ प्राप्त हो रहा है|आयुक्त नगर निगम अजमेर के इस जवाब पर निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग द्वारा अपने पत्र क्रमांक प.6(च)(214) लेखा/शिकायत/अजमेर संभाग/डीएलबी/2016/1566 दिनांक 26/04/2016 द्वारा सम्पूर्ण निविदा प्रक्रिया RTPP रूल्स 2013 के नियम 63(1) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं होने से आमंत्रित निविदाओं को निरस्त करते हुए पुनः नियमानुसार निविदा आमंत्रित करने के आदेश जारी कर दिए|परन्तु निदेशक महोदय के उक्त आदेश को श्रीमान प्रमुख शासन सचिव,स्वायत शासन विभाग द्वारा दिनांक 15/06/2016 को दिए गए अपीलीय आदेश 3263 के अनुसार यह कह कर अपास्त कर दिया कि विभाग द्वारा जारी आदेश दिनांक 26/04/2016 जिसके विरुद्ध वर्तमान अपील दायर की गयी,RTPP एक्ट की धारा 38 के प्रावधानों के विरुद्ध होने से विधि सम्मत नहीं है|

लोकायुक्त ने दिखायी सख्ती:इस मामले की शिकायत दो साल पहले लोकायुक्त कार्यालय में की गयी जिसके बाद लगातार शिकायतकर्ता पर परिवाद वापस लेने का दबाव बनाया जाता रहा|परन्तु परिवादी के डटे रहने से आखिर इस मामले में न्याय हुआ और लोकायुक्त महोदय द्वारा दो आई.ए.एस. अधिकारी, तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव मंजीत सिंह और तत्कालीन अजमेर नगर निगम आयुक्त प्रियव्रत पंड्या के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिए है|