मास्टर-प्लान से सम्बंधित गुलाब कोठारी बनाम राजस्थान सरकार मामला
सरकार की समस्याओं पर तीन जजों की की बेंच करें विचार
(दिनांक 16/03/2018 को व राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर)
वृहद पीठ ने स्पष्ट किया खंडपीठ का आदेश रद्द नहीं हुआ है वह लागू रहेगा
(दिनांक 06/04/2018 को दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर)
कंपाउन्डिंग पूरी तरह बंद करना ठीक नहीं, नियमो के तहत अवैध निर्माण को कंपाउंड करने की छूट दी जाए : सरकार
(दिनांक 03/08/2018 को दैनिक भास्कर मे प्रकाशित खबर)
हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग,न्यायाधीश संगीत लोढ़ा व अरुण भंसाली की लार्जर बेंच मे गुरुवार को भी मास्टर प्लान पर सुनवाई हुई|सरकार की ओर से अधूरी बहस को आगे बढ़ाया| सरकार की ओर से कहा गया, कि कोर्ट ने अवैध निर्माण की कंपाउंडिंग को बिल्कुल बंद कर दिया, जो उचित नहीं है| इस निर्देश को मोडीफ़ाई करते हुए नियम के अंतर्गत कंपाउंडिंग करने की छूट दी जाए| ग्रीन ज़ोन व ग्रीन एरिया मे किसी तरह के बदलाव पर रोक लगा दी है तथा नए मास्टर प्लान मे इसे ज्यों का त्यों का रखना होगा, जबकि व्यापक हित मे इसे उपयोग करने की छूट दी जाए और इसके बदले मे अन्यत्र ग्रीन एरिया चिन्हित कर दिया जाएगा| सभी पक्ष सुनने के बाद लार्जर बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया|
सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के एडीशनल सोलिस्टर जनरल पीएम नरसिम्हन ने बहस को आगे बढ़ाते हुए कोर्ट को बताया, कि जयपुर मे ज़ोनल प्लान बन चुका है और जोधपुर व अजमेर मे प्रक्रियाधीन है| उन्होने फिर ज़ोर देते हुए कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया कि छोटे शहरो मे आबादी कम होती है, इसलिए अलग से ज़ोनल प्लान की जरूरत नहीं है|ज़ोनल प्लान मे उल्लेखित होने वाली सारी चीजो का मास्टर प्लान मे ही समावेश कर दिया जाता है|उन्होने उदाहरण के तौर पर नोखा कस्बे का मास्टर प्लान कोर्ट के समक्ष पेश भी किया| सरकार कोर्ट के निर्देशों का पूरा पालन करेगी, लेकिन कोर्ट ने पूरी तरह से कंपाउंडिंग बंद कर दी, जो उचित नहीं है| नियमो के तहत कंपाउंडिंग की छूट दी जानी चाहिए| कोई कंपाउंडिंग मे द्वेषतावस दुरुपयोग कर रहा है तो कोर्ट अनुच्छेद 226 के तहत उसे एग्जामिन भी कर सकती है| सरकार ने 25 अप्रैल 2017 को कंपाउंडिंग के लिए अलग से गाइडलाइन जारी की है, जो और बेहतर है|