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माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश

आवारा पशुओं और सड़कों की बेतरीब खुदाई के विषय में स्वप्रेरित याचिका

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हाईकोर्ट ने कहा-न तो आवारा पशुओं पर रोक लगी और न ही सड़कों की खुदाई रुकी

(दिनांक 19/01/2018 को दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका  में प्रकाशित खबर)

निगम-जे.डी.ए. को फटकार,हालत सुधरेंगे तो रिस्क यह है कि अफसरों की जेब नहीं भरेगी

(दिनांक 30/01/2018 को  राजस्थान पत्रिका  में प्रकाशित खबर)

हालात नहीं सुधरे तो सीईओ का वेतन काटने को मजबूर होंगे

(दिनांक 19/05/2018 को  राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर)

शहरो में आवारा पशु-गड्डे दिखे तो अफसरों को जेल 

हाइकोर्ट ने राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों में सड़कों को आवारा पशुओं व गड्डो से मुक्त रखने के लिए तीन सप्ताह में सिस्टम विकसित करने को कहा है| साथ ही, अदालती आदेशो की पालना में ढिलाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए मौखिक टिप्पणी की है कि पालना नहीं हुई तो अफसरों को जेल भेजने के अलावा कोई चारा नहीं है| पालना के लिए अंतिम मौका देते हुए सुनवाई 31 अगस्त तक टाल दी है|

न्यायाधीश मनीष भण्डारी ने आवारा पशु की टक्कर से विदेशी नागरिक की मौत पर स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका परशुक्रवार को सुनवाई की| इस दौरान नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के गोयल, जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त वैभव गालरिया व जयपुर नगर निगम आयुक्त सुरेश ओला हाजिर हुए| कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि अदालती आदेश की पालना जिस गति से की जा रही है, उससे तो लगता है कि पालना संभव नहीं है| नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी कहा कि सड़क बनते ही गड्डे कि ख़बर आती रहती है| ठेकेदार आवारा पशु को पकड़ कर छोड़ देते है, इससे एक ही आवारा पशु को कई बार पकड़ने का पैसा देना पड़ता है| यह सरकारी धन की बर्बादी है|