प्रदेश में पर्यावरण मंजूरी के बिना नहीं चलेंगे अस्पताल|
एनजीटी ने पंजीकरण और मंजूरी के बिना चल रहे संस्थानों पर ताला जड़ने के दिए आदेश|
अस्पताल,क्लिनिक,पैथोलोजी और ब्लड बैंक जैसी स्वास्थ्य इकाइयों के संचालकों को अब मेडिकल कचरे के निस्तारण में लापरवाही भारी पड़ेगी| एनजीटी और लोक लेखा समिति ने ऐसा ना करने वाली इकाइयों को बंद करने के निर्देश दिए है|
चिकत्सकीय संस्थानों से उत्सर्जित होने वाले मेडिकल कचरे के उचित निस्तारण को लेकर एनजीटी लम्बे समय से राज्य सरकारों को निर्देश जारी करता रहा है|बावजूद इसके निजी संस्थानों की बात तो दूर सरकारी अस्पतालों में भी जमकर लापरवाही बरती जा रही है|
राज्य के 65% जिला अस्पतालों में लापरवाही|
राजस्थान के 65% जिला अस्पतालों और 90%प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अभी बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण मनचाहे तरीके से कर रहे है|जिससे न केवल पर्यावरण दूषित हो रहा है,बल्कि आसपास के रियाइशी इलाकों में भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है|
बायोवेस्ट अनुबंध के बाद मिलेगी पर्यावरण मंजूरी|
स्वास्थ्य संस्थाओं को चिकित्सकीय कचरे का निस्तारण करने के लिए पहले बायों-मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल प्लांट संचालकों के साथ अनुबंध करना होगा|इसके बाद ही उन्हें प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड से पर्यावरण मंजूरी मिल सकेगी|
प्लांट संचालक नहीं कर सकेंगे इंकार|
बायों-मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल प्लांट संचालकों को 150 किमी के दायरे में आने वाली सभी स्वास्थ्य इकाइयों से 24 घंटे में एक बार बायो वेस्ट एकत्र करना है|जिसके लिए इन्हें छह हजार मासिक मिलेंगे|
लेकिन कई बार दुरी ज्यादा होने के कारण प्लांट संचालक नियमित कचरा नहीं उठाते है|इनकार करने पर इनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी|
(साभार:-राजस्थान पत्रिका 10/01/2016 11/01/2016 को प्रकाशित खबर)