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माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शादी के खर्च का ब्योरा मैरिज ऑफिसर के पास होना चाहिए , खर्च में कमी कर उसका एक हिस्सा वधू को देना चाहिए

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आपके घर में होने शादियो के खचे पर भी सरकार कि नजर रहने वाली है| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो ऐसी व्यवस्था तैयार करे जिससे ये पता चल सके कि कोई व्यक्ति शादी में कितना खर्च कर रहा है| इसका मकसद है-दहेज लेन-देन को रोकना और साथ ही दहेज कानून के तहत दर्ज होने वाले  झूठी  शिकायतों  पर भी  नजर  रखना | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार  को केंद्र से कहा कि-शादी  में हुए खर्च का हिसाब-किताब  बताना अनिवार्य करने पर विचार  करिए | वर-वधू  दोनों पक्षो को शादी  पर हुए खर्चो  कि  जानकारी   मैंरिज  ऑफिसर को बताना अनिवार्य  होना चाहिए|

केंद्र सरकार इस बारे में जल्द नियम बताए | एक सुनवाई के दोरान कोर्ट ने कहा कि अगर  शादी में दोनों पक्षो कि ओर से हुए खर्च का ब्योरा मोजूद रहता है तों दहेज प्रताड़ना के तहत दायर किए गए मुकदमों में पेसे से जुड़े विवाद हल करने में मदद मिलेगी | इसके अलावा शादी में होने वाले बेवजह के खर्च में कटोती करके उसका एक हिस्सा वधू के बैंक खाते में जमा किया जा सकता है | भविष्य में जरूरत पड़ने वो इस्तेमाल कर सकती है |

इस पूरी पक्रिया को असल में केसे लाया जाए, इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से राय मांगी है | कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने लॉं ऑफिसर के जरिये इस मामले पर अपने विचार अदालत के सामने रखे | अदालत ने एडीशनल सॉलिसीटर जर्नल पीएस नरसिहा से भी कहा कि वे कोर्ट कि इस मामले मे मदद करे | दरअसल सुप्रीम कोर्ट एक पारिवारिक विवाद पर सुनवाई कर रहा है, जिसमे महिला ने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दायर कराया है | ससुराल वाले महिला के आरोपो कि नकार रहे है | इसी मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये नया नियम बनाने कि बात सरकार से कही है |

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामले में बड़ी तबाद से कि जाने वाली गिरफ़्तारियों पर भी चिंता जताई थी| कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलो में गिरफ्तारी के वव्त पुलिस के लिए निजी आजादी और सामाजिक व्यवस्था के बीच बैलेन्स रखना  जरूरी  है |  कोर्ट ने  कहा था  कि दहेज प्रताड़ना से  जुड़ा मामला गेर जमानती है | इसलिए कई लोग इसे हथियार भी बना लेते है| दरअसल दहेज प्रताड़ना के ज़्यादातर मामलों मे  आरोपी बरी हो जाते है और सजा कि दर सिर्फ 15% है |