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अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए आदेश

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी-ये क्या मजाक है

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क्या आपने कभी वाट्सऐप या ऐसे अन्य ऐप के जरिए किसी आपराधिक मुकदमे की सुनवाई के बारे में सुना है ? यदि नहीं तो चौंकिए मत |

झारखंड की एक निचली अदालत ने ऐसा ही किया | जब यह ममला अपील में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो दो जज जिस्टस एसए बोबडे और जस्टिस एलएन राव की पीठ हैरान रह गई | पीठ ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या यह मजाक है ? इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती | दरअसल , झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी 2016 के दंगा मामले में आरोपी हैं | 15 दिसंबर 2017 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह भोपाल में रहेंगे और मुकदमे की सुनवाई के अलावा अन्य किसी भी कारण झारखंड में प्रवेश नहीं करेंगे | दोनों आरोपियों ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि विरोध के बावजूद हजारीबाग की अदालत ने वाट्सऐप

कॉल के जरिए सुनवाई करके आरोप तय करने का आदेश दे दिया |

( साभार : राजस्थान पत्रिका में दिनांक 10-09-2018 को प्रकाशित खबर )