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माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश

सबरीमला मंदिर में जा सकेंगी हर उम्र की स्त्रियां,रोक हटी

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केरल के आठ सौ साल पुराने सबरीमला मंदिर में अब हर उम्र की स्त्रियां प्रवेश कर सकेंगी|सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस मंदिर में 10 से 50 साल तक की स्त्रियों के प्रवेश पर लगी परंपरागत पाबंदी को असंवैधानिक करार दिया है|इसके साथ ही देश के कई अन्य धर्म स्थलों में हो रहे भेदभाव को खत्म करने का रास्ता साफ हो गया|

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शुक्रवार को4:1 के बहुमत से सबरीमला मंदिर की प्राचीन परंपरा को खत्म करने का फैसला सुनाया|हालांकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला न्यायाधीश जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने असहमति में फैसला दिया|प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा,जस्टिस आरएफ नरीमन,जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एकमत से फैसला सुनाया|

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,सभी श्रद्धालु एक जैसे है और उनमें लिंग के आधार पर भेदभाव उचित नहीं है|मंदिर में 10 से 50 साल तक की स्त्रियों के प्रवेश द्वार पर लगी पाबंदी संविधान के सिद्धांत के खिलाफ है|शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति का सम्मान समूह की नैतिकता का विषय नहीं हो सकता और किसी के पूजा के अधिकार को धर्म की आड़ लेकर खारिज नहीं किया जा सकता|जस्टिस मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को जैविक कारणों से मंदिर में प्रवेश की इजाजत न देना जायज नहीं है|

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह महिलाओं के प्रति पुरुष-प्रधान मानसिकता का दुराग्रह है और यह संविधान के अनुच्छेद-14 के खिलाफ है|