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ईमानदारी से काम करने का फल,जयपुर से 460 कि.मी. खाजूवाला बदली

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ईमानदार को सरकार दुनिया दिखा देती है|

सच कहा है किसी ने कि ईमानदार अधिकारी को सरकार एक जगह बैठने नहीं देती है,सारी दुनिया दिखा देती है|पर क्या करें ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा, जिस अधिकारी के तन-मन में बस जाती है,वो अपना बोरिया बिस्तर हर समय बांधे रहता है|

अक्सर फिल्मों में देखा जाने वाला ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से ओत्र-पोत्र किरदार ऐसा नहीं है कि हमारे समाज में नहीं है,इसकी जीती जागती मिसाल है राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री मनीष कुमार फौजदार|

ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा  की मिसाल

श्री मनीष फौजदार

आज जब सुबह का अखबार पढ़ा तो उसमे व्यंग्य वाले कोलम में एक आलेख का शीर्षक पढ़ते ही समझ गया था कि यह चर्चा श्री मनीष फौजदार के बारे में है|

मनीष फौजदार से मेरे परिचय ऐसा नहीं है कि बहुत पुराना है,उनसे मेरी मुलाक़ात तब हुई थी जब वह जे.डी.ए. के ज़ोन-5 में उपायुक्त थे|

और दबंग अधिकारी होने के नाते उन्होंने लाख सिफारिशों के बावजूद एक अवैध भूखंड पर चलने वाली व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करवाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी|

उसके बाद उनका तबादला जिला कलेक्टर कार्यालय में एस.डी.एम पद पर कर दिया गया जहाँ पर भी उनके चर्चे सुनाई दिए|परन्तु यहाँ पर भी वह सरकार की आँख की किरकिरी बने रहे और उनका तबादला जे.सी.टी.एस.एल. में कर दिया गया जहाँ पर भी अपना जलवा दिखाते हुए उन्होंने,कई चोरियों को खुद पकड़ा|

हाल ही में उनका तबादला सबसे भ्रष्ट कहे जाने वाले विभाग नगर निगम जयपुर में कर दिया गया था जहाँ पर उन्हें मोतीडूंगरी ज़ोन के उपायुक्त का चार्ज दिया गया|यहाँ पर भी उन्होंने ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए कई अवैध ईमारतों को सील कर दिया|जो शहर के बड़े रसूखदारों की थी|उनकी यही कार्यवाही मेयर साहब को रास नहीं आई और उन्होंने मनीष फौजदार का तबादला कराने में अपनी एडीचोटी का जोर लगा दिया|

आखिरकार चुनावों में सरकार को यह कार्यवाही करने का मौक़ा मिल गया|यूं तो राज्य में आचार संहिता लगी हुई है,परन्तु दो अधिकारियों के बीमार पड़ने से चुनाव आयोग की सिफारिश पर कार्यवाही करते हुए सरकार ने फौजदार का तबादला जयपुर से 460 कि.मी. दूर बीकानेर के खाजूवाला इलाके में एस.डी.एम. पद पर कर दिया|