तेरा करम ही तेरी विजय है|
देश मे जब से सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा की गयी,तभी से मजदूरों के पलायन करने की विचलित कर देने वाली तस्वीरें सामने आने लगी है|देश के छोटे-बड़े सभी शहरों मे छोटी चाय की दुकान-रेस्टोरेन्ट पर,मकानों के निर्माण मे,खेतों मे या फिर फेक्ट्रियों मे काम करने वाले अधिकतर कामगार अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे और उन मे से अधिकतर ने अपने गाँव को पलायन करने की ठान ली|परंतु राज्य सरकारों की बन्दिशों ने कईयों के कदम थाम लिए, कईयों ने हिम्मत की और कई जगह कोरनटाइन होने के बावजूद वह एक राज्य से दूसरे राज्य मे होते हुए जैसे तैसे अपने गाँव पहुँच गए|गाँव पहुचने पर उन्होने अपने अन्य साथियों को भी अपने गाँव पहुचने की खुशखबरी दी तो दूर शहर के बैठे उसके साथियों का स्थानीय प्रशासन पर से भरोसा उठ कर,अपने गाँव पहुचने की जल्दबाज़ी मे बदल गया और देखते ही देखते इन मजदूरों का कारवां अपनी मंजिल को पहुचने के लिए शुरू हो गया|
जिसको जैसा साधन मिला वो उसे लेकर निकाल पड़ा,कईयों को सरकारी बसे या ट्रेन मे सफर करने का मौका मिला,कई इनमे से बदनसीब भी मिले जिनहे हादसों के रूप मे मौत नसीब हुई|परंतु उनकी बंद आँखों मे भी अपने गाँव पहुचने की चमक थी|
खैर अखबारों,न्यूज चैनलों मे इन मजदूरों के पलायन से जुड़ी सैंकड़ों तस्वीरों के बीच अब यह कारवां रुकने वाला नहीं है या तो अब इनका रास्ता मंजिल तक पहुचेगा या फिर मौत ही इनका रास्ता रोकेगी| इनको अपनी शारीरिक क्षमताओं पर भरोसा है और इसके साथ चलने वाले परिवारों को अपने मुखिया के हौसलों पर|हमारा और स्थानीय सरकारों का प्रयास केवल इनके सफर को आसान और जल्दी करने का होना चाहिए|क्यूंकि इन्हे वापस भी तो आना है,अपने काम पर,अपने परिवार के लिए अपने देश के लिए|