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माननीय राज. उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद पूर्व मे बस चुकी आवासीय कॉलोनियों के भूखंडों को पुनर्गठित कर बनाई जा रही बहुमंजिला ईमारते!!!!

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माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा गुलाब कोठारी बनाम राजस्थान सरकार मामले मे दायर याचिका 1554/2004 के संदर्भ मे दिनांक 12/01/2017 को जारी किए गए आदेश संख्या 16 मे स्पष्ट किया है कि पूर्व मे विकसित कॉलोनियों मे जहां पर स्थानीय नगरीय निकायों द्वारा उस कॉलोनी के स्वीकृत लेआउट/नक्शों के अनुसार आधारभूत सुविधाएं विकसित की जा चुकी है,उन कॉलोनियों मे बहुमंजिला ईमारतों के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी|लेकिन इसके बावजूद जेडीए के अधिकारी उच्च न्यायालय के इन आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे है|जेडीए के अधिकार क्षेत्र मे अवैध निर्माणों की तो भरमार है ही साथ ही ऐसी बिल्डिंगों की संख्या मे भी इजाफा होता जा रहा है,जिनको निर्माण अनुज्ञा जारी करने के लिए उच्च न्यायालय मना कर चुका है|ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को कोर्ट के आदेशों का भान नहीं है लेकिन पैसो की चमक के आगे वह कोर्ट के आदेशों को भी रद्दी की टोकरी मे फेंक देते है|ऐसी ही कुछ बिल्डिंगे जेडीए के पीआरएन क्षेत्र और ज़ोन 7 मे चिन्हित की गयी है|जिनको जारी भवन निर्माण स्वीकृति मे माननीय उच्च न्यायालय के आदेशो को दर किनार कर दिया गया है|प्रस्तुत है विस्तृत रिपोर्ट-

 

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