पर्यावरण विभाग को सौंपी गयी प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 के बाद हिंदुस्तान ज़िंक द्वारा पारे के ज़ीरो डिस्पोसल की बात स्वीकार की है|लेकिन इतने वर्षो से जो यह प्रक्रिया नहीं अपनायी जा रही थी उसके कारण चंदेरिया प्लांट से प्रति वर्ष निकल रहा Calomel यानि मरक्यूरस क्लोराइड आखिर कहाँ गया?